हेलो दोस्तों आज का हमारा पोस्ट Shiv chalisa pdf download in hindi के बारे में लिखा है इसमें मैं आप सभी को यह बताऊंगा कि आप किस तरह से शिव चालीसा हिंदी में pdf डाउनलोड कर सकते हैं
और हम आपको शिव चालीसा का PDF डाउनलोड लिंक भी प्रोवाइड कर आएंगे तो आप हमारे साथ इस पोस्ट में बने रहें और शिव चालीसा हिंदी में pdf से रिलेटेड और भी जानकारी आप लोगों के साथ शेयर करने जा रहा हूं
दोस्तों Shiv chalisa hindi pdf download link नीचे दिया गया है जिससे आप बहुत ही आसानी से एक क्लिक के साथ आप शिव चालीसा का हिंदी PDF डाउनलोड कर सकते हैं.
Shiv Chalisa PDF Download in Hindi

PDF Name | Shiv Chalisa PDF |
PDF Size | 350kb |
Language | Hindi |
Category | Religion |
Download Link | Available |
शिव चालीसा हिंदी में PDF
दोस्तों अपने हिंदू धर्म में त्रिदेव के बारे में हर किसी को पता है दोस्तों ब्रह्मा विष्णु महेश इनके बारे में तो हर कोई जानता है दोस्तों लेकिन हम आज शिवजी के बाद में बात करेंगे जिन्हें कई नामों से जाना जाता है
और हम आपको यह बताएंगे कि शिव चालीसा का जाप करने से क्या होता है और पहले के टाइम शिव चालीसा का प्रयोग करके लोग अपने वरदान लेते थे किसी के साथ बहुत से ऐसे लोग थे शिव चालीसा का कई वर्षों तक जॉब करते थे
और उन्हें बहुत सी ताकतवर शक्तियां प्रदान हुई थी इसी के साथ भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हम शिव चालीसा को पढ़ते हैं और शिव के आनंद में रहते हैं दोस्तों अगर आपको शिव चालीसा नहीं आती है
तो आप हमारे दिए गए वीडियो को डाउनलोड कर सकते हैं या फिर इसी पोस्ट में हमने शिव चालीसा को भी लिखा हुआ है आप उसे भी पढ़ सकते हैं और और इसी के साथ हम आपको कुछ शिवजी के हैं दोहे भी दे रहे हैं आप उन्हें भी पढ़ सकते हैं.
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शिव चालीसा क्या है?
दोस्तों आसान भाषा में भगवान की पूजा करने के लिए स्त्रोत का निर्माण किया गया था क्योंकि जिस तरह से सरल और सुगम भाषा में जिस रोज की रचना की गई उसे ही हम चालीसा कहते हैं
दोस्तों चालीसा में कुल 40 पंक्तियां अर्थात 40 चौपाइयां होती हैं। इसीलिए इसे चालीसा कहा जाता है। भगवान शिव को समर्पित 40 चौपाइयों का अथवा 40 दिव्य पदों का संग्रह ही शिव चालीसा के नाम से प्रसिद्ध है।
शिव चालीसा PDF डाउनलोड
शिव चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले शिव जी को स्मरण करें, उसके बाद निम्नलिखित चालीसा को पढ़ें।
।। दोहा ।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
|| श्री शिव चालीसा चौपाई ||
जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं।
वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा।
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहिं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।
जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे ।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
Shiv Chalisa PDF Video
Benefits of Shri Shiv Chalisaa (शिव चालीसा के फायदे)
दोस्तों शिव चालीसा के बहुत से लाभ हैं पर कुछ निम्नलिखित फायदे हैं जो भगवान शिव की महिमा को अपरम्पार बना देते हैं।
- स्वस्थ सम्बंधित पीड़ाओं से छुटकारा पाने के लिए बच्चों और बड़ो दोनों को शिव चालीसा का जाप करना चाहिए।
- शिव जी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि और विकास मिलता है।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को शिव चालीसा का जाप करना चाहिए। अच्छी डिलीवरी होती है।
- शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
- प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन की कठनाईया दूर होती हैं.
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Shiv Ji Ki Aaarti | शिव चालीसा आरती pdf
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥.
FAQ – Shiv Chalisa PDF
शिव चालीसा कब पढ़नी चाहिए?
दोस्तों शिव चालीसा को सुबह स्नान करने के बाद पढ़ना चाहिए
शिव चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं?
अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए करता है
शिव चालीसा के रचयिता कौन है?
दोस्तों शिव चालीसा के रचयिता अयोध्यादास जी हैं।
शिव चालीसा को कैसे सिद्ध करें?
भगवान शिव की शिव चालिसा का तीन बार पाठ करें. – शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें, जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा. – शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें.
भगवान शिव कैसे ध्यान करते थे?
हृदय पर अपने दोनों हाथ रख लें। भक्तिभाव से भरें, महसूस करें कानों से आ रही संगीत की तरंगे, ध्वनियाँ सीधे हृदय में जा रही हैं। – बंद आँखों में पलको के माध्यम से आ रही रोशनी सीधे हृदय में उतर रही है। – नीचे जमीन या गद्दे का स्पर्श, उससे हृदय आंदोलित हो रहा है।
भोलेनाथ का जन्म कहाँ हुआ था?
भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है वे स्वयंभू हैं।