आज के इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको lilavati granth pdf लिंक देने वाला हूं। और इस पोस्ट में मैं आपके साथ लीलावती ग्रंथ pdf के बारे में पूरी जानकारी जैसे- लीलावती ग्रंथ क्या है?, लीलावती ग्रंथ किसने लिखा?, और लीलावती की कहानी बि आप लोगों के साथ शेयर करूँगा। बस आप इस पोस्ट के साथ बने रहे। और ध्यान से पढ़े।
लीलावती ग्रंथ pdf | lilavati granth pdf
File Name | लीलावती ग्रंथ | lilavati granth |
PDF Size | 26 MB |
Total Page | 378 |
Author | Bhaskaracharya |
Language | हिन्दी/Hindi |
Download Link | ✅ Available |
लीलावती ग्रंथ की कहानी
लीलावती का नाम हम में से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है उनके बारे में कहा जाता है कि वह पेड़ के पत्ते तक जिन लिया करती थी शायद ही कोई यह जानता होगा कि आज यूरोप सहित विश्व की सैकड़ो देश जी गणित की पुस्तक से गणित पढ़ा रहे हैं।
उसकी रचयिता भारत की एक महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती है आईए जानते हैं महान गणितज्ञ लीलावती के बारे में जिनकी जिनके नाम से गणित को एक नई पहचान मिली 10वीं साड़ी की बात है दक्षिण भारत में भास्कराचार्य नमक गणितज्ञ और ज्योतिष विद्या की एक बहुत प्रकांड विद्वान थे।
उनकी कन्या का नाम लीलावती था यही उनकी एकमात्र संतान थी उन्होंने ज्योतिष की गणना से जान लिया था कि उसके विवाह के थोड़े दिनों के बाद उनकी विधवा हो जाएगी उन्होंने बहुत कुछ सोचने के बाद ऐसा लगन खोज निकाला जिसमें विवाह होने पर कन्या विधवा ना हो विवाह की तिथि निश्चित हो गई।
आपको बता दें कि उसे समय जल घड़ी की सहायता से समय देखने का काम किया जाता था एक बड़े कटोरे में छोटा सा छेद कर पानी के घड़े में छोड़ दिया जाता था सुराग के पानी से जब कटोरा भर जाता था और पानी में डूब जाता था तब एक घड़ी होती थी।
पर विधाता को कुछ और ही मंजूर था लीलावती 16 श्रृंगार कर कर सज कर बैठी हुई थी सब लोग उसे शुभ लगने की प्रतीक्षा कर रहे थे की एक मोती लीलावती के आभूषण से टूटकर कटोरे में गिर पड़ा और सुराग बंद हो गया शुभ लग्न बीत गया और किसी को पता भी नहीं चला और इस तरह विवाह दुसरे लग्न पर ही करना पड़।
लीलावती विधवा हो गई और पिता और पुत्री के धैर्य का बांट टूट गया इसके बाद लीलावती अपने पिता के घर ही रहने लगी अपनी विधवा पुत्री के दुख को देखकर भास्कराचार्य ने उन्हें गणित पढ़ना आरंभ कर दिया और लीलावती भी गणित के अध्ययन में रुचि लेने लगी।
थोड़े ही दोनों के विषय वे गणित के विषय में पूर्ण पंडित हो गई पार्टी गणित इस गणित और ज्योतिष विषय का एक ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि भास्कराचार्य ने बनाया है पार्टी गणित की अंश का नाम है भास्कराचार्य ने अपनी कन्या को अमर कर देने के लिए लीलावती ग्रंथ रखा है।
भास्कराचार्य ने अपनी बेटी लीलावती को गणित सीखने के लिए गणित की ऐसे सूत्र निकले जो काव्य में होते थे इन सूत्रों को कंठस्थ करना पड़ता था इसके बाद उन सूत्रों का उपयोग करके गणित के प्रश्न हल करवाए जाते थे कंठस्थ करने से पहले भास्कराचार्य नील को सरल भाषा में धीरे-धीरे समझाया करते थे।
वे बच्चों को प्यार से संबोधित करते हुए चलते थे हिरन जैसे नैनो वाली प्यारी बिटिया लीलावती यह जो सूत्र है बेटी को पटाने की इस शैली का उपयोग गणित का एक महान ग्रंथ लिखा इस ग्रंथ का नाम ही उन्होंने लीलावती रखा रख दिया आजकल के छात्र गणित के विषय को कम पसंद करते हैं।
पर भास्कराचार्य का ग्रंथ लीलावती गणित को भी बड़े ही आनंद के साथ मनोरंजन जिज्ञासा आदि का सम्मिश्न करते हुए कैसे पढ़ाया जा सकता है इसका नमूना प्रस्तुत करता है लीलावती का एक उदाहरण इस प्रकार है निर्मल कमल की एक समूह के तृतीय पंचमंस तथा फर्स्ट मैन से क्रमशः से विष्णु और सूर्य की पूजा की चतुर्थांश से पार्वती की ओर से छह कमरों से गुरु चरणों की पूजा की गई है।
वाले लीलावती शीघ्र बात की उसे समूह कमल में कुल कितने फूल थे इसका उत्तर है 120 कमल के फूल वर्ग और गान को समझाते हुए भास्कराचार्य कहते हैं आय वाले लीलावती वर्ग जाकर क्षेत्र और उसका क्षेत्रफल वर्ग कहलाता है दो समान संख्याओं का गुणन भी वर्ग कहलाता है इसी प्रकार तीन सामान संख्याओं का गुणनफल गान है।
और 12 पोस्टों और सामान भुजाओं वाला ठोस भी गान है मूल शब्द संस्कृत में पीडीएफ पौधे की जड़ की अर्थ में या व्यापक रूप से किसी वस्तु के कारण उद्गम अर्थ में प्रयुक्त होता है इसीलिए प्राचीन गणित में वर्गमूल का अर्थ था वर्ग का कारण यह उद्गम इसी प्रकार घनमूल का अर्थ भी समझा जा सकता है।
वर्ग तथा घनमूल निकालने की अनेक विधियां प्रचलित थी लीलावती के प्रश्नों का जवाब देने के क्रम में ही सिद्धांत शिरोमणि नामक एक विशाल ग्रंथ लिखा गया जिसके चार भाग हैं लीलावती बीजगणित ग्रह गणित अध्याय और गोल अध्याय लीलावती में बड़ी सरल और काव्यात्मक तरीके से गणित और खगोल शास्त्र के सूत्रों को समझाया गया है।
अकबर के दरबार की विद्वान फैजी ने सन 1587 में लीलावती का फारसी भाषा में अनुवाद किया अंग्रेजी में लीलावती का पहला अनुवाद जेविलर ने सन 1716 में किया था आपको बता दें कि कुछ समय पहले भी भारत के कई शिक्षक गणित को दोहों में पढ़ते थे
जैसे 15 का पहाड़ा दिया 45 चौक के साठ छक्के 90 किसी तरह कैलेंडर याद करवाने का तरीका भी पद्य में सूत्र में था इस प्रकार गणित अपने पिता से सीखने के बाद लीलावती भी एक महान गणितज्ञ और खगोल शास्त्री के रूप में जानी गई मनुष्य के मरने पर उसकी कीर्ति ही रह जाती है आज गणितज्ञ को गणित के प्रचार और प्रचार के क्षेत्र में लीलावती पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
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निष्कर्ष
आज के इस ब्लॉक पोस्ट में हमने बात की लीलावती ग्रंथ पीडीएफ के बारे में लीलावती ग्रंथ pdf को आप मेरे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं और साथ ही मैंने बताया आप सभी को की लीलावती ग्रंथ की क्या कहानी है और इस ग्रंथ का नाम लीलावती ग्रंथ कैसे पड़ा दोस्तों अगर आपको या पोस्ट पसंद आया हो तो आप इसको के नीचे हमें कमेंट में अपना ओपिनियन शेयर कर सकते हैं।
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